कन्या लगन और कन्या राशि
कन्या लगन और कन्या राशि
कन्या लगन की कुंडली मे लगनेश और कार्येश को एक ही प्रकार का माना जाता है लगनेश भी बुध होते है और कार्य भाव के मालिक भी बुध होते है,जो ग्रह या भाव कार्येश को प्रभाव देते है वही भाव लगनेश को भी यानी शरीर और नाम जाति पद आदि के बारे मे भी अपना प्रभाव देते है।कन्या राशि के बारे मे वैसे बहुत से लोगो ने अपने अपने अनुसार प्रभाव बताये है लेकिन मेरे अनुसार कन्या लगन मे पैदा हुआ व्यक्ति विनम्र होता है,और वह अपनी बात बहुत उग्र ढंग से नही करता। आमतौर पर बात करते हुये उसके चेहरे पर एक मुस्कराहट होती है,उसकी आवाज मे रुक रुक कर बोलने की आदत होती है,अक्सर स्त्रियो के लक्षण कन्या लगन मे पुरुषों मे और पुरुषों के लक्षण कन्या लगन की स्त्रियो मे पाये जाते है। कन्या लगन का पुरुष अपनी वेष भूषा बनाने मे अधिक ध्यान रखता है जबकि स्त्री जातक अपने को पुरुषों की तरह रखना चाहती है। कन्या लगन के व्यक्ति अक्सर कम बोलने वाले होते है जब अधिक लोगो के साथ होते है तो उनके अन्दर इतना धैर्य होता है कि वे अपनी बारी आने का इन्तजार करते है। अधिकतर सुनने की आदत उनके अन्दर होती है और बोलने मे कम विश्वास भी रखते है। तर्क करना और किसी भी बात मे सन्देह करना उनकी आदत मे होता है,इस प्रकार से सन्देह करने पर अगर कोई पीछे का कारण या किसी व्यक्ति की पीछे की जिन्दगी के सन्देह वाले कारण मिल जाते है तो वे जरूरत से अधिक सन्देह करने से भी पीछे नही रहते। अक्सर उनका कार्य किसी भी कार्य को फ़ैलाने से होता है उन्हे कार्य को समेटना लगभग बहुत ही कम आता है,जैसे बातो को वे करेंगे तो करते ही चले जायेंगे,किसी काम को करना है तो करते ही जायेंगे,जब तक उचित कारण नही आ जाता है तब तक वे इस प्रकार के कारण पैदा करते रहेंगे। अपनी बातो को अधिक व्यक्त नही करने के कारण वे पाताली व्यक्ति की तरह से जाने जाते है और अपने परिवार को वे खुद ही बोझ समझ सकते है,अक्सर उन्हे अपने परिवार से ही अधिक दिक्कत का सामना करना पडता है। इस लगन वाले व्यक्ति अक्सर अपने लिये धन का बन्दोबस्त दोहरे तरीके से करना जानते है,उन्हे इस बात का भय नही होता है कि वे समाज मे जो कुछ भी बोल रहे है उसके लिये उन्हे कोई टोक भी सकता है या कोई बुरा भी मान सकता है कि आखिर वे जिस स्वार्थ की पूर्ति के लिये अपने को आगे लिये जा रहे है वह स्वार्थ उनके लिये खुद के परिवार से अलग भी कर सकता है और खुद के लिये भी कोई न कोई समस्या को पैदा भी कर सकता है। अधिकतर कन्या लगन वाले जातक हिसाब किताब मे माहिर होते है उन्हे कोई भी काम या खर्च करने के लिये बोल दिया जाये तो वे अपने अन्दर कितना कहाँ और कैसे खर्च किया है का हिसाब बता देंगे। इस लगन मे राहु को उच्च का माना जाता है और केतु को नीच का माना जाता है। यह अपनी ससुराल खानदान मे अपने को बहुत ऊंचा दिखाने के चक्कर मे खुद के ससुराल खानदान को भी नीचा दिखा सकते है और अपने मायके खानदान को अधिक से अधिक नीचा दिखाने की आदत से एक तरह से समाप्त भी कर सकते है। इस लगन वाले लोगो के अन्दर भेद भाव और जासूसी करने की एक अनौखी आदत होती है,जो लोग इस लगन वाले के चाटुकार होते है उनके लिये यह अपनी औकात से अधिक खर्चा और सम्मान आदि दे सकते है लेकिन जो लोग इनके खास भी क्यों न हो और इन्हे अगर किसी बात से परेशानी है तो उसे किसी भी प्रकार से नीचा दिखाने मे भी पीछे नही रहेंगे। इस लगन का उदाहरण आप इतिहास मे पृथ्वीराज चौहान के रूप मे देख सकते है,उन्होने अपने परिवार को तो बरबाद किया ही साथ मे अपने नाना के परिवार को भी डुबाने मे परहेज नही किया। कन्या लगन एक अस्पताली राशि भी मानी जाती है,अगर कोई घर मे बीमार हो गया तो इस लगन वालो के लिये सेवा करने मे बहुत अच्छा लगता है,किसी भी प्रकार की छोटी से छोटी जरूरत का यह बहुत ख्याल रखते है। अक्सर इस लगन वाले जातक अपने जन्म स्थान को त्याग कर दूसरी जगह पर निवास करते देखे गये है जैसे किसी एक ही शहर या गांव मे इनके जन्म के बाद स्थान का बद्लाव जरूर होता है। इन्हे लम्बी यात्रा करने का बहुत शौक होता है और यात्रा के समय चटपटा भोजन करना और यात्रा मे आने जाने वाले स्थानो को ध्यान से देखना इनके अन्दर की जिज्ञासाओ को शांत करने के लिये काफ़ी होता है।
भचक्र की राशियों मे सूर्य और चन्द्र को छोड कर बाकी ग्रहों की दो दो राशियां है इनके अन्दर एक राशि तो भौतिकता वादी होती है और दूसरी राशि मानसिकता के प्रभाव मे मानी जाती है,इसी प्रकार से बुध की भी दो राशिया है एक मिथुन जो मानसिक रूप से प्रदर्शन के लिये मानी जाती है दूसरी कन्या राशि जो अपने को भौतिक रूप से प्रदर्शन के लिये मानी जाती है। कन्या लगन कर्जा दुश्मनी बीमारी की लगन भी मानी जाती है,जातक के जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त इन्ही कारको मे उलझे रहना भी माना जाता है। जैसे बचपने से ही किसी न किसी प्रकार की बीमारी से ग्रस्त रहना फ़िर जीवन यापन करने के लिये किसी प्रकार की नौकरी या बडे काम को करने के लिये बैंक आदि से कर्जा लेना और उसे चुकाने का काम करना,शरीर की मेहनत करने के बाद धन को प्राप्त करना,और इसी प्राप्ति के अन्दर किसी न किसी प्रकार की दुश्मनी लेते रहना आदि बाते भी इस लगन के लिये मानी जाती है। दक्षिण की नाडी ज्योतिष के अनुसार तीन भाव एक साथ काम करते है जैसे कन्या राशि के लिये पहले कन्या राशि का प्रभाव काम करेगा फ़िर उसके साथ मकर राशि का प्रभाव काम करेगा उसके बाद वृष राशि का प्रभाव काम करेगा। कन्या राशि के तीसरे भाव मे मंगल की वृश्चिक राशि आती है,यह राशि पराक्रम की मानी जाती है। जासूसी वाले काम गुप्त रूप से किये जाने वाले काम चुपचाप रहकर किये जाने वाले काम सोचने के अन्दर केवल मृत्यु से सम्बन्धित काम आदि इस राशि के लिये माने जाते है। अक्सर इस राशि का ख्वाब विदेश से धन कमाकर गुप्त रूप से अपनी औकात को बनाने के लिये भी माना जाता है,जितने भी अनैतिक रूप से अन्डर वर्ड के लोग अपने को गुप्त रूप से आगे निकाल कर ले जाते है उनके अन्दर इन्ही तीन राशियों के लोगो को अधिकतर माना जा सकता है। इस राशि के चौथे भाव मे गुरु की धनु राशि आती है,दिमागी रूप से इस राशि का कार्य कानूनी जामा पहिनाना भी माना जाता है। अक्सर माता खानदान से किसी न किसी प्रकार की कानूनी बाते होना माना जाता है,साथ ही रहने वाले मकान वाहन आदि के लिये भी कोई न कोई कानूनी कारण का होना माना जाता है। न्याय आदि के लिये धन को फ़ेंकने वाली बात भी मानी जा सकती है। घर से बाहर रहने मे अच्छा लगने वाली बात भी मानी जा सकती है। गुरु का स्वभाव इस राशि की मानसिकता मे आने से जो भी किया जाता है वह शाही रूप से किया जाता है,किसी प्रकार से भी शाम दाम दण्ड भेद से किये जाने वाले काम भी इसी राशि के अन्दर होने माने जाते है। एक घर के अलावा दूसरे घरो का निर्माण विदेशो मे ही करवाया जाता है। यात्रा वाले काम करने के लिये भी इस राशि वालो को देखा जाता है। लेकिन जो भी काम किये जाते है वे किये तो कम जाते है लेकिन उनका दिखावा बहुत बडा माना जाता है,जैसे घर के अन्दर से भले ही थैली बनाने का काम दिखाया जा रहा हो लेकिन थैलिया भी बडे रूप से बनाने का कार्य दिखाया जायेगा। इस राशि के पंचम भाव मे मकर राशि का स्थान मे है यह स्थान शनि का मुख्य स्थान है,शनि के इस स्थान मे होने के कारण और कालपुरुष की कुंडली के अनुसार सूर्य की सिंह राशि होने के कारण पुरुष संतान के प्रति किसी न किसी प्रकार की बेरुखी भी देखी जाती है लेकिन कन्या संतान की अधिकता या किसी प्रकार के मर्यादा वाले सवाल पर कन्या संतान को इतनी छूट दे दी जाती है कि वह बाद मे अपने घर समाज परिवार आदि का कोई ख्याल नही रखती है। अक्सर सन्तान को शुरु से ही घर का बोझ दे दिया जाता है जैसे आने जाने वालो के लिये खुशामद का कार्य घर के अन्य कामो को करने के लिये सन्तान का उपयोग करना और किसी भी सरकारी समस्या को करने का काम आदि इस प्रकार के जातक अपनी सन्तान को देते है। बुद्धि के क्षेत्र मे शनि का स्थान आने से और मकर राशि का प्रभाव राज्य भाव से जुडने के कारण तथा भचक्र के अनुसार सिंह राशि का रूप होने से इस लगन के जातक शुरु से ही राजनीतिक परिवेश मे जाने का मानस बना लेते है अगर कम पढे लिखे है तो समाज मे राजनीति फ़ैलाने का काम करते है और अधिक पढे लिखे है तो शहर या देश मे राजनीति फ़ैलाने का काम करते है,साथ ही उसी प्रकार के लोगो का साथ देते है जिनके द्वारा खुद की कानूनी व्यवस्था बनाकर खुद के कानूनो पर चलकर और खुद के ही कानूनो मे फ़ंस कर समाप्त होने वाली व्यवस्था अक्सर कन्या लगन वाले जातक ही पैदा करते है।
महऋषि पाराशर के नियम के अनुसार हर राशि को उसकी बारहवी राशि बरबाद करने के लिये मानी जाती है। कन्या राशि के पंचम भाव मे धनु राशि के प्रभाव के कारण सन्तान का बरबाद होना केवल इस राशि के राजनीति होने और सन्तान को विदेश भेजने तथा बहुत ऊंची शिक्षा देने के बाद सन्तान को अपने कुल परिवार समाज से बाहर कर देने के लिये माना जा सकता है। अगर विशेष रूप से देखा जाये तो कन्या राशि के पंचम स्थान से पंचम का अष्टम स्थान जिसे मृत्यु स्थान के नाम से जाना जाता है का स्थान कन्या राशि के बारहवे भाव मे सिंह राशि का होना जो राज्य से सम्बन्धित है और भचक्र से गुरु की मीन राशि मे होने के कारण गुरु और सूर्य का पूरा प्रभाव इस राशि के पंचम को समाप्त करने वाला माना जाता है,जैसे राज्य मे जाने की इच्छा राजकीय काम करने की इच्छा घर से बाहर रहकर ऊंची शिक्षा को प्राप्त करने के बाद अपनी गृहस्थी को खुद बसाने की इच्छा समाज धर्म और कानूनी मान्यता को दरकिनार कर अपने मे ही मस्त रहने की इच्छा कन्या लगन के जातको की सन्तान के लिये माना जाता है। बारहवे भाव मे सिंह राशि होने के कारण सूर्य की स्थिति के अनुसार और भी फ़लादेश निकाला जा सकता है। कन्या लगन के छठे भाव मे भी शनि की कुम्भ राशि आती है इस राशि को मित्रो की राशि के नाम से भी पुकारा जाता है। शनि की राशि होने के कारण और भचक्र के अनुसार कन्या राशि का प्रभाव होने से जो भी मित्र होते है वे घर बाहर के कैसे भी काम नौकर चाकर की तरह से करते है और वे प्रभाव के कारण ऊंचा बोल भी नही पाते है तथा अन्दर ही अन्दर शनि की चालाकी से घर के भेद लेकर अपने आपको इस लगन के जातक से दूर होते ही दुश्मनी को निकालने का रास्ता देख लेते है और जैसे भी उनकी शक्ति होती है बरबाद करने मे कोई कसर नही रखते है। कुम्भ राशि को कमन्यूकेशन की राशि के रूप मे भी जाना जाता है,इस प्रकार के जातको के जो भी बुराई वाले काम इनके दोस्त करते है वे कमन्यूकेशन के साधनो को प्रयोग मे लेने के बाद ही करते है। जैसे इनके द्वारा किसी गुप्त काम को किया जाता है तो इनके दोस्त अपने कमन्यूकेशन के साधनो से इन्हे इनके क्षेत्र मे ही बदनाम करने के लिये माने जाते है। अक्सर उन लोगों मे वे ही लोग अधिकतर अपनी भूमिका को निभाते है,या तो जीवन साथी के परिवार वालो से दुश्मनी निकालने वाले लोग होते है या किसी प्रकार से मानसिक रिस्ता बनाकर साथ चलने वाले लोग होते है।
बुध कन्या राशि मे उच्च का माना जाता है और इस कारण से दुनियादारी के गुण बहुत मात्रा मे आजाते है क्योंकिकन्या राशि भूमि तत्व की राशि है इसलिये इसकी बुद्धि का प्रयोग किसी आध्यात्मिक प्राप्ति के स्थान पर आम जीवन के कामो मे अधिक प्रयोग मे आते देखा है। कन्या लगन के व्यक्ति को जीवन मे कई प्रकार की तब्दीलिया करने की इच्छा बहुत होती है,शायद यही कारण है कि उनका मन यात्राओं के प्रति अधिकतर होता है और कई बार यह अपने रहने के स्थान तथा कार्य आदि के बदलाव मे भी बहुत जल्दी विश्वास रखते है। मैने अभी बुध के गणित की विद्या की बात की थी,अन्य लगनो के मुकाबले मे बुध ग्रह मे चीजो को बहुत विस्तार से जानने की इच्छा जरूरत से अधिक होती है। किसी भी समस्या को हाथ मे लेकर वह उसके बारे मे हर छोटी से छोटी बात को बहुत ही गहराई से तथा गम्भीर रूप से देखते है इसलिये कई बार ऐसा होता है कि वह एक समस्या की गहरायी को तो आम आदमियों के मुकाबले मे जरूरत से अधिक समझ पाते है किन्तु इस समस्या की पूरी पृष्ठभूमि के बारे मे उतना ध्यान नही दे पाते। दूसरे शब्दो मे इसे ऐसा कहना चाहिये कि जैसे एक आदमी एक व्यक्ति के बारे मे जानने की पूरी उत्सुकता रखता है जैसे उसके माता पिता दादा दादी नाना नानी उसकी आगे की सन्तान आदि को जानता है लेकिन उस आदमी के वास्तविक समाज और नैतिकता के बारे मे उसे कुछ पता नही होता है। इसके साथ ही उसे केवल आदमी की आय और व्यय के साथ आदतो के बारे मे जानने की पूरी इच्छा होगी लेकिन वह आदमी दूसरे आदमियो से किस प्रकार की भिन्नता रखता है इससे उसे कोई लेना देना नही माना जा सकता है। कन्या लगन का व्यक्ति हर काम को अपने एक निश्चित ढंग के साथ करता है,ऐसा काम करने के वह हमेशा किसी न किसी प्रकार की तकनीक का सहारा लेता है और उसी तकनीक को वह हर काम के लिये प्रयोग मे लाता है यही कारण है कि ऐसे व्यक्ति अच्छे दरोगा आयकर अधिकारी या स्कूलो के गणित के अध्यापक बन सकते है अगर स्त्रियां है तो वे घर के काम काज सेवा भावना और दिखावे के लिये बुजुर्गो की सेवा लेकिन मानसिक रूप से केवल अपने नाम को लोगो मे फ़ैलाने के लिये माने जाते है कि वे बहुत ही उदार है,और उनकी उदारता को बढ चढ कर अगर नही कहा गया तो उनके द्वारा की जाने वाली सेवा मे कमी आजायेगी। इस प्रकार के व्यक्ति अगर राजनीति मे जाते है तो उन्हे केवल एक ही क्षेत्र विशेष के बारे मे जानकारी होती है और उस क्षेत्र के बारे मे जानने के अलावा और उनसे अगर कुछ जानने की बात की जाये तो उन्हे कुछ पता नही होता है इसी बात को अक्सर नेताओ मे देखा जाता है कि वे किसी न किसी कारण से प्रतिद्वंदी से मात खा जाते है या भाग्य से चुन भी लिये जाये तो उन्हे खुद के ही लोग नीचे लेजाकर कोई न कोई बडा आक्षेप अन्य क्षेत्र का लगाकर नीचे बैठा देते है।
कन्या लगन भूमि तत्व की राशि है इसलिये जीवन से सम्बन्धित चीजो के बारे मे उनकी समझ बहुत तेज होती है पैसे के बारे मे वे हमेशा इच्छा रखते है कि कुछ पैसा जोडा जा सके,इसका मतलब यह भी नही है कि वह अपने खर्च करने मे कंजूसी करे,बल्कि खर्च करने मे भी उनकी एक तकनीक होती है उदाहरण के तौर पर वे महंगे होटल मे खाना नही खा सकते है लेकिन प्लेट फ़ार्म पर बिकने वाली कचौडी पकौडी को खाकर अपने वक्त को निकाल सकते है। इसके अलावा उनके पास के मीनू होता है कि अगले महिने कितना मकान का किराया चुकाना है किसी जानकार को धन देने के लिये कब उसे देना है या नही देता है भोजन के लिये अगले महिने के लिये कितना बजट रखना है आदि बाते इस लगन वालो के लिये जानी जा सकती है। चतुर्वर्ग चिन्तामणि मे इसे एक कमल के फ़ूल पर बैठी हुयी सुन्दर स्त्री कहकर पुकारा गया है,कमल के फ़ूल के बारे मे यह बात भी जानने योग्य है कि वह कीचड मे खिलता है और अपने अन्दर कीचड से उत्तम तत्वो को लेकर अपनी खुशबू फ़ैलाता है लेकिन यह भी जानने के योग्य है कि कीचड के अन्दर ही उसकी जडे यानी पूर्वजो की माता पिता की हैसियत को भी नही भुलाया जा सकता है। कमल का फ़ूल हमेशा ही गहरे पानी मे पाया जाता है और कमल नाल जिसके ऊपर कमल का फ़ूल खिला होता है वह नाल हमेशा ही अपने को पानी के अन्दर डुबो कर ही रखना चाहती है बिना पानी के कमल की कोई हैसियत नही होती है। इस बात को और भी गहराई से समझने के लिये पानी के रूप को समझना पडेगा। पानी का कारक चन्द्रमा है और माता का कारक भी चन्द्रमा है,चन्द्रमा की राशि से कन्या राशि तीसरे भाव मे होती है,पानी का जो उद्देश्य कमल के फ़ूलो के खिलने से होता है उसे कहने को बहुत सुन्दर सरोवर के रूप मे जाना जा सकता है,साथ ही पानी के चलते हुये स्थान मे कमल के फ़ूल का खिलना नामुमकिन भी होता है,यानी पानी कभी बहते हुये पानी मे नही रह सकता है। इसका अर्थ इस प्रकार से भी लगाया जा सकता है कि माता का स्वभाव या क्षेत्र एक ही स्थान पर टिक कर रहना होता है। कमल का फ़ूल सूर्य के उदय होने पर ही खिलता है। सूर्य जो ज्योतिष के अनुसार पिता या पुत्र के रूप मे माना जाता है। जब तक सूर्य का आस्तित्व होता है तभी तक कमल के फ़ूल को खिला हुआ देखा जाता है जैसे ही सूर्य अस्त होता है कमल का फ़ूल अपनी पंखडियों को समेट लेता है और रात के अन्धेरे मे सूर्य क उदय होने का इन्तजार करता है।अक्सर कन्या लगन वालो के लिये पिता और पुत्र की बढोत्तरी खुल कर देखी जा सकती है,लेकिन कन्या लगन से मित्र वर्ग अक्सर मानसिक दुश्मनी ही रखता है और मित्र वर्ग मे वही लोग होते है जो किसी तरह से माता की तरफ़ से रिस्ते बनाकर चलने वाले,घर को बनाने वाले या घर के आसपास के लोग,वाहन से सम्बन्धित लोग,किराया या इसी प्रकार के जनता के अन्दर खुदरा सामान बेचने वाले चक्की चलाने वाले जनरल स्टोर को चलाने वाले शिक्षा से सम्बन्धित लोग सब्जी या इसी प्रकार का व्यवसाय करने वाले लोग। इस लगन वालो के लिये शुरु का जीवन उसी प्रकार से कष्ट का माना जा सकता है जैसे कमल के फ़ूल को अपनी जडे कीचड के अन्दर फ़ैलाने मे कष्ट माना जा सकता है,उसके बाद वे जब पानी की सतह तक अपने को पहुंचा देते है तब जाकर उनकी हैसियत का समय शुरु होता है लेकिन इस हैसियत को उम्र के दूसरे भाग मे यानी पैंतीस साला दौर के बाद मित्र वर्ग ही उन्हे डुबोने के लिये अपने कुचक्रो को चलाने लगता है।
कन्या लगन के व्यक्ति अक्सर स्वस्थ ही देखे जाते है इस लगन वालो को भोजन के प्रति कोई लालच नही होता है और न ही यह हमेशा किसी भी भोजन के प्रति अपनी धारणा को ही रखते है,अक्सर सही मात्रा मे सही चीजें खाने का इनको मानसिक रूप से माना जा सकता है। अक्सर इनको जब कोई मानसिक परेशानी होती है तो इनके शरीर पर बहुत असर पडता है और कमर का हिस्सा चिन्ता के कारण फ़ैलने लगता है,पैरों मे कमजोरी आने लगती है,जैसे ही यह कारण शुरु होता है इनकी बीमारी अपने आप बढती जाती है। अक्सर यह अपनी बीमारी का छोटी छोटी दवाइयों से दूर करने की कोशिश करते है जैसे किसी टेबलेट का खा लेना और उत्तेजना को समाप्त करने के लिये कुछ समय के लिये एकान्त मे बैठ जाना आदि। इस लगन वालो के अन्दर इन्ट्यूशन की मात्रा बहुत कम देखी जाती है,इसलिये केवल यह अपने जाल को बुनना तो जानते है लेकिन अपने ही बुने जाल मे फ़ंस भी जाते है,उस समय अगर इनका भाग्य साथ दे रहा है तो अपने बुने जाल से निकल आते है और भाग्य साथ नही दे रहा है तो अपने को बिच्छू के स्वभाव का बनाकर अपने ही अन्दर अपने विचारो के डंक मार मार कर आहत करते रहते है,इसका भी एक कारण माना जाता है कि इनके तीसरे भाव मे बद मंगल की वृश्चिक राशि आती है। अगर कन्या लगन वाले मात्रा से अधिक दूसरे से सलाह लेना शुरु कर देते है तो यह उनके लिये सबसे अधिक खतरनाक माना जा सकता है,इसी का कारण एक तरह से यह भी माना जाता है कि इस लगन के जातक अपने काम को करने के लिये जाते समय या काम को शुरु करने के समय किसी ज्योतिषी तांत्रिक या शमशानी क्रियाओं को जानने वाले से सलाह जरूर लेते है,लेकिन आम लोगों की जानकारी मे उनके सलाह लेने वाले कभी नही आते है,अक्सर जमा पूंजी का अधिकांश धन इसी प्रकार के लोग इस लगन वालो से ले जाते है। इसके लिये यह भी माना जाता है कि इस लगन का जातक अगर किसी डाक्टर से या ज्योतिषी से या तांत्रिक से सलाह लेने जाता है तो उसे पूरी तरह से विश्वास नही हो पाता है। वह अपनी सलाह को अन्य लोगों से भी लेता है और जब वह कई लोगों से सलाह लेता है तो डाक्टर अपने अपने अनुसार बीमारियों को बताने लगता है ज्योतिषी अलग अलग अपने अपने विचारो को बताने लगता है और तांत्रिक अपने अपने अनुसार प्रयोग करने के लिये कहने लगता है,इस प्रकार से वह खुद ही अपने को अलग अलग दवाइयो अलग अलग सलाह से और अलग अलग प्रयोग करने मे लग जाता है,परिणाम के रूप मे उसके सामने दवाई भी फ़ेल हो जाती है सलाह भी फ़ेल हो जाती है और किये जाने वाले तांत्रिक प्रयोग भी फ़ेल हो जाते है। इस कारण से शरीर मानसिक प्रभाव और तरक्की के रास्ते मे अपने आप बाधाये भी आती है और धन की बचत भी दूसरे लोग खा जाते है। पुरुष वर्ग मे देखा जाता है कि वह अपने घर मे अपनी पत्नी की बहुत सहायता करता है वह अपनी पत्नी की सहायता के लिए सफ़ाई भी करने लगेगा,सामान को जमाने और सजाने मे भी लगा रहेगा बच्चो को पालने मे भी सहायता करता रहेगा। जब कि इस लगन वाले महिला जातक अपने को पति के कामो मे सहायता की बजाय उनसे पूरी सहायता लेने के बाद अपने को खुद मजबूत करने की कोशिश मे पति को भी बरबाद कर देते है और अपने को भी मजबूत नही बना पाते है,परिणाम स्वरूप महिला जातको का जीवन अन्त मे बहुत ही दिक्कत वाला बन जाता है। इनकी सन्तान के मामले मे माना जा सकता है कि यह अपनी सन्तान से कभी भी सुखी नही रह पाते है। अगर पुत्र है तो पुत्रवधू से और पुत्री है तो दामाद से हमेशा ही किसी न किसी बात से धन स्थान आदि की दिक्कत होना देखा जा सकता है। अक्सर पुत्र वधू का स्थान मित्रों की श्रेणी मे ही माना जाता है क्योंकि दामाद और पुत्र वधू का वही स्थान होता है जो मित्रो का होता है,यह स्थान काल पुरुष की कुंडली से ग्यारहवा माना जाता है। अक्सर कन्या लगन के जातक मकानो की संख्या को बढाने मे लगे रहते है,इन्हे चाहत होती है कि वे अपने मकानो को किराये से या किसी व्यापारिक संस्थान मे तब्दील करके अपने जीवन को मजबूत बना सकते है। जीवन के आखिर मे अक्सर यह भी देखा गया है कि मकान को या तो किरायेदार कब्जे मे ले लेता है या किसी प्रकार से पुत्रवधू अपने कब्जे मे ले लेती है या दामाद का अधिकार उस पर हो जाता है।
कन्या लगन के जातक यदि अपनी मर्जी से शादी करते है तो वे अपने जीवन साथी का चुनाव ठीक ढंग से नही कर पाते है उनके जीवन मे अक्सर तिहरे सम्बन्ध किसी न किसी प्रकार से चलते रहते है। इन सम्बन्धो को चलाने के लिये रिस्ता मित्र का भी हो सकता है सलाहकार का भी हो सकता है या किसी सम्बन्धी का भी हो सकता है। इनके बारहवे भाव मे सूर्य की सिंह राशि होने के कारण इनकी बरबादी का कारण और जीवन के सभी आयामो को खर्च करने का कारण राजनीति मे जाना या घर परिवार व्यक्ति समाज या मकान आदि के प्रति सरकारी कारणो से जूझना या राजनीति करना आदि माना जाता है,इसी कथन को सारावली मे भी कहा गया है कि व्यक्ति कन्या लगन वाले जातक को बरबाद करने के लिये उसकी पारिवारिक स्थिति को समाप्त करने के लिये प्रेम सम्बन्ध मनोरंजन के साधन घर मे भट्टी को स्थापित करने के बाद भोजन सम्बन्धी व्यापार को करने के कारण स्थानीय राजनीति मे जाने के कारण और सरकारी महकमे से जूझने के कारण ही है। यह बात मेरे विचार से भी सत्य ही है क्योंकि कालपुरुष की कुंडली के अनुसार इस लगन के जातको के बारहवे भाव मे सूर्य की सिंह राशि पडती है और यह राशि गुरु की राशि मीन मे अपना स्थान रखती है,मीन राशि व्यक्ति को मोक्ष देने यात्रा करने बुजुर्ग लोगो से सम्बन्ध रखने बिना किसी सोच विचार के धार्मिक स्थानो या सन्तान के प्रति विदेश यात्रा करने राजनीति करने मनोरंजन करने आदि के लिये मानी जाती है। इस लगन वाले जातक अगर किसी धर्म स्थान पर जाते है तो उन्हे सबसे पहले उस धर्म स्थान मे कितनी साज सज्जा है कितनी गहमा गहमी है या सरकार की तरफ़ से क्या बन्दोबस्त किये गये है कितने मनोरंजन के साधन उस स्थान पर स्थापित है इनका ख्याल जरूर आता है जबकि धर्म स्थान पर जाने का मतलब है जिस भी देवता के स्थान पर जाना है उसकी शक्ति को समझना और उसके प्रति समर्पित होना होता है। इस लगन के जातक कभी भी अपने जीवन साथी से मानसिक अवसाद के कारण भी तलाक या विवाह विच्छेद के लिये नही सोचते है और किसी प्रकार से अगर इन कारणो का होना भी हो तो यह अपने को सामाजिक रूप से अकेला रखने की कोशिश भी करते है।
