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राहु से मिलने वाली शिक्षा

कर्क लगन की कुंडली है और चन्द्रमा पंचम भाव में वृश्चिक राशि का होकर कार्येश और पंचमेश मंगल तथा केतु के साथ विराजमान है। शनि चौथे भाव मे उच्च का होकर तुला राशि में है,लाभेश और चतुर्थेश शुक्र तथा व्ययेश और तृतीयेश बुध सिंह राशि के होकर धन भाव में विराजमान है.धनेश सूर्य लगन में ही विराजमान है,भाग्यश और षष्ठेश गुरु वक्री होकर छठे भाव में ही विराजमान है,राहु ग्यारहवे भाव में वृष राशि का होकर विराजमान है,जातक को जो चिन्ता है :-

  • उसका आगे का भविष्य क्या है ?
  • उसकी शादी कब होगी ?
  • उसे पत्नी कैसी मिलेगी ?

इन तीन प्रश्नो के उत्तर के लिये कुंडली के पंचम को देखना जरूरी है.पंचम भाव मानसिकता का दूसरा स्थान है जो मन से सोचा जाता है वह पंचम में जाकर प्रदर्शन के लिये तैयार हो जाता है इसलिये मंत्रणा और धारणा के लिये इस भाव की जानकारी बहुत जरूरी है। वर्तमान मे राहु का गोचर इस भाव मे है और अपने प्रभाव से चन्द्रमा मंगल और केतु को अपना असर दे रहा है। राहु जन्म से जिस भाव में होता है उसी भाव का फ़ल गोचर के समय अपने अनुसार अलग अलग भावों मे देता जाता है। इस कुंडली मे राहु का प्रभाव लाभ भाव मे है और वह जो भी फ़ल देगा वह लाभ भाव के ही अच्छे या बुरे फ़ल गोचर से देगा। चन्द्र राशि से राहु सप्तम मे है इसलिये भी राहु की सोच मन के कारक चन्द्रमा पर अपना असर देने वाली होगी,चन्द्रमा से चन्द्र लगन का मालिक मंगल है इसलिये राहु जो शंका देगा वह मन से शरीर के लिये भी और सोचे जाने के साथ केतु जो साधनो के लिये जाना जाता है के प्रति अपनी लाभ वाली शक्ति को प्रकाशित करेगा। इस राहु के फ़ल कैसे प्राप्त होते है,इसे इस प्रकार से फ़लित करना ठीक रहेगा:-

  • जातक की माता को कष्ट रहना माना जा सकता है जातक की माता को इन्फ़ेसन वाली बीमारी है,चन्द्रमा राहु के साथ मिलकर दिमाग मे भ्रम देता है और इस भ्रम के कारण झूठ बोलने की आदत से मजबूर है,जन्म स्थान के पास या वर्तमान मे राने के स्थान क पास पानी का स्थान हो या जंगल बीहड वाले स्थान का होना भी माना जा सक्ता है.जातक के पेट में किसी न किसी बीमारी को माना जा सकता है माता को कैंसर जैसी बीमारी का होना भी माना जा सकता है,जातक को मानसिक परेशानी भी मिल सकती है। राहु चन्द्रमा के साथ मिलकर मानसिक कष्ट को भी देने वाला है.भाई जो छोटा होता है उसे परेशानी या खुद के लिये भी परेशानी अथवा बहिन के पुत्र को परेशानी मानी जा सकतीहै. जातक को अधिक सोचने के कारण एक दम उत्तेजना का कारण भी बनता है और इस प्रकार के कारण से जो जीवन के प्रति नई बीमारी होती है उसे ब्लड प्रेसर के नाम से जाना जाता है,सवारी गाडी या किसी जमीनी हथियार बिजली आदि से अथवा किसी दवाई आदि से जीवन को खतरा होना भी मिल सकता है.कार्य के अन्दर मन्द गतिपैदा होती है जातक को भूत प्रेत मंत्र तंत्र आदि के लिये उत्सुकता जागृत होती है.
  • राहु का असर सप्तम पर जाने से जातक को विवाह की चिन्ता होती है लेकिन जातक का मानसिक प्रेम भी चलता है जो केवल कमन्यूकेशन तक ही सीमित रहता है,जातक को डर भी लगता है और जातक अपनी मानसिकता के कारण झूठ भी बोलता है जिससे प्रेम करने वाले व्यक्ति को राहु के गोचर के बाद नफ़रत भी हो जाती है.
  • राहु का असर विदेश भाव मे होने से जातक को विदेश जाने की बात भी मिलती है या किसी प्रकार के कारण से न्याय आदि के प्रति जाने की बात भी मिलती है अगर जातक किसी तकनीकी कार्य में है तो उस कार्य से उसे अक्समात ही हानि होने का डर भी मिलता है.राहु का असर जन्म के सूर्य के साथ होने से किसी व्यापारिक स्थान या घर की सजावट पर अक्समात ही किसी प्रकार का आग का कारण या सरकारी वाहन की टक्कर आदि से परेशानी या पिता को परेशानी का समय भी मिलता है,बिजली के शार्ट सर्किट का कारण भी पैदा होता है,पिता के पेट का आपरेशन भी होने की बात मिलती है.