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शादी किस प्रकार की स्त्री से होगी ?

शादी किस प्रकार की स्त्री से होगी ?

प्रश्न कुंडली से पता किया जाता है की प्रश्चक की शादी किस प्रकार की स्त्री से होगी,प्रश्न लगन वृष है इस लगन का दूसरा द्रेष्कान है केतु लगन में विराजमान है,तीसरे भाव में मंगल नीच का कर्क राशि का है,पंचम स्थान में शनि कन्या राशि का है छठे भाव में सूर्य बुध शुक्र विराजमान है,सप्तम में राहू विराजमान है,चन्द्रमा का स्थान चौथे भाव में है और गुरु वक्री होकर बारहवे भाव में है.पूंछने वाले के दिमाग में यह प्रश्न चन्द्रमा के अनुसार माना जाएगा,चन्द्रमा के दूसरे भाव में शनि है जो कन्या राशि का है इस शनि का प्रभाव सीधा केतु से सम्बन्ध रखने वाला है,तीसरे भाव में सूर्य बुध और शुक्र के होने से तथा बारहवे गुरु के द्वारा वक्री नजर से देखने के कारण जातक की शादी एक बार होनी मानी जाती है जातक की पत्नी भाव का मालिक चन्द्रमा से शनि दूसरे भाव में है इसलिए जातक दूसरी शादी करने के मूड में है,कारण चन्द्रमा से गुरु नवे भाव में है और गुरु विदेश भाव में है,न्याय भाव में है इसलिए उसकी शादी करने की इच्छा केवल अपने को विदेश में रहने के लिए और वहां के क़ानून के अनुसार स्थाई निवास के लिए मानी जा सकती है.
केतु शनि का प्रकार का स्त्री जातक से माना जाता है अगर यही केतु मंगल के कब्जे में होता तो स्त्री की जगह पर पुरुष की चिंता होती,लेकिन केतु स्त्री ग्रह शनि के कब्जे में है और केतु खुद शुक्र की राशि में है,जातक कार्य करने वाली स्त्री को जानता है स्त्री का कार्य शिक्षा स्थान में कार्य करने से भी माना जा सकाता है,इसके साथ ही राहू मंगल का आपसी योग भी जातक के अन्दर अंदरूनी सोच को ही प्रदर्शित कर रहा है की वह अपने जीवन की तरक्की के लिए कार्य करने वाली स्त्री के रूप में हो और जातक अपने लिए एक प्रकार की साख किसी काम करने वाली स्त्री की सहायता से आगे बढाने की कोशिश करे.गुरु वक्री होने से जातक की सोच में रिश्ते नाते पारिवारिक मर्यादा का कोइ मूल्य नहीं है,वह केवल अपने स्वार्थ और अधिक से अधिक धन कमाकर अपनी औकात को बनाकर ही आगे चलने के लिए अपनी इच्छा की पूर्ती को चाहता है.
किसी भी राशि का पहला द्रेष्कान बालक अवस्था की सोच को पैदा करता है दूसरा द्रेष्कान जवानी की अवस्थान को सूचित करता है और तीसरा द्रेष्कान बुढापे की अवस्था को सूचित करता है व्यक्ति जिस स्त्री से शादी करना चाहता है वह वृष लगन के दूसरे द्रेष्कान की सोच में माना जाता है,तथा किसी जवान स्त्री के लिए भी अपनी सोच को जाहिर करता है.राहू मंगल की युति से खून के अन्दर जो सोच चलाती है उसे भी माना जाता है जैसे उच्च के मंगल के साथ राहू की सोच होती है वह चिल्लाकर बोलने की मानी जाती है और नीच के मंगल की सोच गुपचुप रूप से सोचने के लिए मानी जाती है.
केतु का शनि के साथ सम्बन्ध होने से कार्य करने वाली और नीच वर्ण की स्त्री के लिए जाना जाता है,बारहवा गुरु होने से जातिका का पिता या बड़ा भाई किसी दूसरे देश में या दूर स्थान में नौकरी करने वाला होता है,वह अपने परिवार के साथ रहता है जबकि जातक जिसे चाहता है उसके पिता का कारक सूर्य छठे भाव में होने के कारण किसी व्यापारिक संस्थान में नौकरी करने वाला होता है,परिवार के रूप में सामने राहू होने के कारण जातिका का पिता किसी पारिवारिक लड़ाई झगड़े या किसी प्रकार के सामाजिक उत्पात की वजह से अपने जन्म स्थान को छोड़ कर किसी दूसरे स्थान में बसा हुआ भी माना जा सकता है.